अजीब है ये
जिंदगानी के ये पल...
अज़ीब है ये
जिंदगानी के ये पल
कभी धूप तो कभी
छांव बनकर ढले
कभी सुख-दुख की
लहरों में ये पले
कभी लगे उजले निखरे
से ये पल
तो कभी
सूने-सूने से लगे ये पल....
अज़ीब है ये
जिंदगानी के ये पल
कभी लगे रिश्तों के
मेले
कभी अकेलापन दूर तक
ठेले
कभी हंसते हंसते
बीते
कभी उदासी मन से न
रीते
अज़ीब है ये
जिंदगानी के ये पल
..............................................