मंगलवार, 10 मई 2016

अजीब है ये जिंदगानी के ये पल...



अजीब है ये जिंदगानी के ये पल...



अज़ीब है ये जिंदगानी के ये पल
कभी धूप तो कभी छांव बनकर ढले
कभी सुख-दुख की लहरों में ये पले
कभी लगे उजले निखरे से ये पल
तो कभी सूने-सूने  से लगे ये पल....


अज़ीब है ये जिंदगानी के ये पल
कभी लगे रिश्तों के मेले
कभी अकेलापन दूर तक ठेले
कभी हंसते हंसते बीते
कभी उदासी मन से न रीते
अज़ीब है ये जिंदगानी के ये पल
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