सोमवार, 3 जनवरी 2011

मन के रिश्ते

 
मन के रिश्ते भी बड़े अजीब होते है 
दूर हो कर भी लोग करीब होते है ...
किसी बंधन रिवाजों के नहीं होते मोहताज़ 
ये धागे वैसे ही मज़बूत होते है ...
समय की सीमा से परे , दुनियादारी की बातों से हट के 
ये रिश्ते कुदरत की जादूगरी होते है ...
हर किसी में नहीं होता इन्हें समझने का  दम ख़म 
ये तो चंद दिलवालों की जागीर होते है ...
 

31 टिप्‍पणियां:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

सही कहा आपने...मन के रिश्तों की तो बात ही निराली होती है...बहुत अच्छी और मन से रचित रचना के लिए बधाई...

नीरज

Kunwar Kusumesh ने कहा…

सच,नजदीकी सिर्फ मन का रिश्ता मजबूत होने पर ही संभव है.
किसी का एक शेर है:-
वो दूर रह के भी मेरे क़रीब लगता है.
ये फ़ासला भी अजीबो-ग़रीब लगता है.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

जी हाँ मन के रिश्ते बहुत अजीब होते हैं.
आपने बहुत ही अच्छा लिखा है.

सादर

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

ये रिश्ते कुदरत की जादूगरी होते है
हर किसी में नहीं होता इन्हें समझने का दम ख़म
ये तो चंद दिलवालों की जागीर होते है

सही कहा आपने, रिश्तों की अहमियत को हर कोई नहीं समझ पाता।
बहुत सुंदर रचना।

M VERMA ने कहा…

रिश्तों की बात निराली है

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

कविता में मन के सुन्दर भाव बरबस ही उमड़ रहे हैं !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

Patali-The-Village ने कहा…

सच,मन के रिश्तों की तो बात ही निराली होती है| धन्यवाद|

Arvind Jangid ने कहा…

सुन्दर रचना, प्रथम बार आपकी रचनाएँ पढकर अच्छा लगा....साधुवाद.

संजय भास्‍कर ने कहा…

Beautiful as always.
It is pleasure reading your poems.

Sunil Kumar ने कहा…

सही कहा आपने नजदीकी सिर्फ मन का रिश्ता मजबूत होने पर ही संभव है,
बधाई..

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

सुंदर रचना.

ZEAL ने कहा…

बेहतरीन रचना,
आभार।

Satish Saxena ने कहा…

कुछ ही लाइनें ...मगर प्रभाव छोड़ गयीं ! शुभकामनायें !

Amit Chandra ने कहा…

सच कहा आपने। जिस्म के रिश्ते तो खत्म हो सकते है पर मन के रिश्ते कभी खत्म नहीं होते। मेरी पोस्ट पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद।

निर्झर'नीर ने कहा…

RistoN pe aapki pakad bahut majboot hai ..jab bhi is shabd ko aapne buna hai behatriin bunaii rahii ..sagar mein gagar
prabhavi rachna

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

स्‍वाति जी, मन को छू गये ये रिश्‍ते।

हार्दिक शुभकामनाएं।

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पति को वश में करने का उपाय।

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

blog par aane ke liye bahut bahut dhnyvaad

aapki rachna bahut hi achchhi hai
sabse bada rishta man ka hi hota hai baaki sab to bas naam ke rishte hain

बेनामी ने कहा…

"मन के रिश्ते भी बड़े अजीब होते है
ये रिश्ते कुदरत की जादूगरी होते है .
........
हर किसी में नहीं होता इन्हें समझने का दम ख़म
ये तो चंद दिलवालों की जागीर होते है ..."

रिश्तों को जो समझे जिसको है इनकी पहचान
निभा सके जो तन मन से वो ही सच्चा इंसान

नव वर्ष २०११ की सपरिवार मंगल कामना

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

या अनुरागी चित्त की गति समझे नहिं कोय ।
ज्यों-ज्यों डूबे श्याम रंग त्यौं-त्यौं उज्ज्वल होय॥

मन के रहस्य समझना आसान नहीं है।
अच्छी पंक्तियाँ

Dr Varsha Singh ने कहा…

बेहतरीन रचना। बधाई। आपको भी नव वर्ष 2011 की अनेक शुभकामनाएं !

ManPreet Kaur ने कहा…

Happy Lohri To You And Your Family..

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Dr Xitija Singh ने कहा…

बहुत खूबसूरत शब्द दिए हैं आपने अपने भावों को ... बहुत सुंदर ..

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

bahut sundar kavita badhai swatiji

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

सुंदर कविता, बधाई स्वीकारें!
लोहड़ी, पोंगल एवं मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं

विशाल ने कहा…

बहुत खुबसूरत कविता है.शुभ कामनाएं

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सचमुच कई रिश्ते मन के हमेशा करीब रहते हैं ... छू गयी के कविता मन को ..

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

swatiji republic day ki badhai

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

swatiji republic day ki badhai

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

swatiji republic day ki badhai

केवल राम ने कहा…

मन के रिश्ते भी बड़े अजीब होते है
दूर हो कर भी लोग करीब होते है .
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
हर किसी में नहीं होता इन्हें समझने का दम ख़म
ये तो चंद दिलवालों की जागीर होते है ...

आदरणीय स्वाति जी
आपकी रचना बहुत मर्म स्पर्शी है ..और बहुत हद तक यथार्थ के धरातल पर रची गयी है ...आपका आभार इस प्रेर्नायी रचना के लिए ...शुक्रिया

vijay kumar sappatti ने कहा…

क्या कहूँ , बहुत ही सुद्नर और मन में बसने वाले भाव के साथ आपने ये कविता लिखी है . पढकर कुछ अपना सा लगा ...

दिल से बधाई स्वीकार करिये ..

आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html