मंद हवा के झौकों सी यादें
ले आती जैसे शीतल पुरवाई
इन पर न है बस किसी का
ये तो होती है हरजाई ...
कभी ले आये मुस्कानों की सौगात
कभी कर जाए आँखों में बरसात
कभी मीठी तो कभी कडवी बातें
मन में सदा बसती है ये यादें
कभी मिल कर ये मन को घेरे
कभी छेड़े राग अधूरे
कभी पहुचाए मधुर बचपन में
बसे जीवन की हर एक धड़कन में
कभी चहकती मन के वन में
कभी सूनी सूनी सी डोले घर आँगन में
कभी बांधे जिन्दगी की ये डोर
कभी थामे वक्त का कोई छोर ....
7 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....
अनु
bhavpurn....
khoobsoorat...
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के ब्लॉग बुलेटिन - आर्यभट्ट जयंती - गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, वैज्ञानिक (४७६-५५० ईस्वी ) पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
बहुत सुंदर लेखन
वाह मंद हवा के झोंको सी
वाकई ये कविता पढ़के शीतलता मन को मिली। बहुत सुन्दर
ati sundar....
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