गुरुवार, 11 दिसंबर 2008
चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवार के लिए क्या योग्यताए होना चाहिए ?
आतंकवाद की इस घटना ने हम सभी भारतीयों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है की हमारे राजनीतिको में देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने की योग्यता नहीं है , यह भी कहा जा रहा है की हम सब का यह नैतिक जिम्मेदारी है की मतदान करे और चुनाव में योग्य उम्मीदवार को ही जिताए । पर ऐसे में यह सवाल भी उठता है की सभी उम्मीदवार एक जैसे ही लगते है और कौन योग्य निकलेगा ,कौन नही वह तो सत्ता में आने के बाद ही पता चलेगा । मुझे लगता है की यह मेरी ही नही हर आम मतदाता की , हर भारतीय की उलझन है । मुंबई की घटना के पश्चात् से ही यह उलझन मेरे मन को बहुत मथरही थी , बहुत सोचने के उपरांत कुछ उपाय सूझे , जिन्हें मैं आप के साथ बाटना चाहूंगी ...
१- चुनाव में खड़े होने के लिए उम्मीदवार का कम से कम स्नातक होना अनिवार्य करना चाहिए।
२- जिस तरह किसी छोटी से छोटी नौकरी के लिए भी अनिवार्य योग्यता और अनुभव आवश्यक होता है , उसी तरह जिन लोगो को देश की इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभालनी है ,उनके लिए यह अनिवार्य होना चाहिए की उन्हें समाजसेवा का कम से कम ५-६ वर्षो का अनुभव हो .
३-कोई आपराधिक मामला या आपराधिक प्रष्ठभूमि नही होना चाहिए ,बल्कि कुछ अच्छी उपलब्धिया उनके नाम होना चाहिए । छवि साफ सुथरी होना चाहिए।
४- नौकरी की तरह उनके लिए भी प्रोबेशन पीरियड का प्रावधान होना चाहिए ।
५- ऐसे उम्मीदवार जो भड़काऊ भाषण देते है और जात ,धर्म और भाषा के नाम पर देश को बाटने का कार्य करते है ,चुनाव आयोग को उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा देनी चाहिए ।
६-हर ६ माह में उनके द्वारा किए गए काम की समीक्षा केन्द्र स्तर पर गठित ऐसे निष्पक्ष आयोग से की जनि चाहिए ,जिसका कोई पार्टी से सम्बन्ध न हो ।
७- हर उम्मीदवार को शिक्षित होने के साथ साथ कंप्यूटर तथा आधुनिक तकनिकी ज्ञान में भी दक्ष होना चाहिए ।
८-उम्मीदवारों के पार्टी बदलने पर रोक लगनी चाहिए।
फिलहाल इतना ही , आप सब से इस विषय पर सुझाव सदर आमंत्रित है ....
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12 टिप्पणियां:
विचार अच्छा है । १, ३ और ८ संभव नहीं हैं और न ही सही । केवल यह कहा जा सकता है कि यदि दल बदलना है तो पहले त्यागपत्र दें और अगली बार नए दल से चुनाव लड़ें । इस बार जो उम्मीदवार दूसरे स्थान पर था उसे ही विजित मान लिया जाए ।
घुघूती बासूती
बिलकुल सही, लेकिन इसे लागू कोन करेगां, कोन चाहेगा, क्या यह नेता???
धन्यवाद
बहुत ही सही सोच ,सही प्रस्ताव ,इस प्रकार की जागरूकता की आवाजे अब उठाना ही चाहिए
स्वाति जी आपकी सोच दर्शाती है कि
आप देश की अत्यन्त सजग महिला हैं !
वरना अधिकाँश महिलायें देश की राजनीति
से अनभिज्ञ ही हैं ! बस बहुत हुआ तो
पति के साथ या भाई - बहन के साथ वोट
दे आती हैं !
आपने जो सुझाव दिए हैं, उनमें से
कई को लागू कर पाना सम्भव नहीं लगता !
मेरा तो बस इतना ही कहना है कि देश की
जनता को शिक्षित और जागरूक बनाने की आवशयकता है ! अभी हमारे देश की सम्पूर्ण राजनीति क्षेत्रवाद, धर्म - जातिवाद,
जैसे भटकाऊ मुद्दों पर केंद्रित है ! जिस दिन जनता जागेगी देश की राजनीति पत्री पर आ जायेगी !
... सुझाव अच्छे हैं किंतु अमल मे ला पाना कठिन है!
स्वाति जी,
आपने जो सुझाव दिए , निश्चय ही सराहनीय है, पर इन सब से हट कर मै यह गुजारिश करना चाहूँगा कि चुनाव आयोग को चाहिए कि मत पत्र में ये व्यवस्था करे कि
"इनमे से कोई नही" और इसका चुनाव चिन्ह भी कुछ नही होना चाहिए.
इस व्यवस्था के बाद वोट डालना मजबूरी न होकर इसमे अधिकार का एवं अयोग्य उम्मीदवारों को नकारने का जज्बा आम मतदाता में पैदा होगा.
साथ ही यह भी व्यवस्था होनी चाहिए कि जहाँ पर मतदाता का "इनमे से कोई नही" जीते वहा पर खड़े सभी प्रत्याशियों पर अगले तीन चुनाव में खड़े होने पर प्रतिबन्ध लग जाना चाहिए, क्योकि जनता ने उन्हें बहुमत से अयोग्य करार दिया है.
जनता की यह शक्ति अयोग्य, भ्रष्ट,बाहुबली, अक्षम नेताओं के इस भ्रम का खात्मा कर देगी की जनता को चुनना तो साप नही तो नागनाथ को पड़ेगा ही.
जनता की इस शक्ति का भय ही नेताओं को योग्य बने रहने को विवश करेगी.
मेरे पास और भी सुझाव है, पर उसे इस नक्कारखाने में अमल में कौन लायेगा, यह सोच कर न देना ही बेहतर समझता हूँ.
चन्द्र मोहन गुप्त
आदरणीय चंद्रमोहन जी
आपके सुझाव बहुत ही सटीक है ,आप से यह निवेदन है की आप जैसे जागरूक व्यक्ति आगे आए और जिस भी मध्यम से सम्भव हो , अन्य लोगो को भी जागरूक बनाये , ये मत सोचिये की इन सुझावों को अमल में सरकार तो लाने वाली नहीं है , हो सकता है बहुत से जागरूक लोगो की आवाज़ चुनाव आयोग तक पहुचे और वह चुनाव प्रक्रिया में सकारात्मक परिवर्तन कर दे तब राजनीति में जुझारू और कर्मठ युवा वर्ग भी आगे आएगा और इस देश की सियासी तस्वीर बदल जायेगी , आपके बहुमूल्य विचारो का स्वागत है ,इन्हे अपने ब्लॉग पर awashya प्रकाशित करिए.
विचार तो उत्तम हैं, और बदलाव के सूचक भी मगर क्या लोकतंत्र के लिए यह उचित है, मेरा प्रश्न आपके १,७ के लिए है,
जरुरत देश को जागरूक होने की है और साथ ही जिम्मेदारी बुद्ध्हिजिवी वर्ग की भी कि अशिक्षा से देश को निजात दिलाने में आगे आने की है.
aapke lekh ko gaur se padha . ye sab to sahi vichardhara hai , par kaun sa neta ya party isko amal mein layenga .aapne bahut achi baat uthayi hai , bus sahi logo tak pahunch jaayen .
badhai
vaise main bhi nagpur se hoon .abi hyderabad mein rahta hoon
vijay
poemsofvijay.blogspot.com
बहुत अच्छा लिखा है आपने । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है- आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-समय हो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
बेहद सुंदर. आपकी लेखनी में दम है.इस ब्लॉग पर आकर प्रसन्नता का अनुभव हुआ. कभी आप हमारे ब्लॉग पर भी आयें !!
बहुत बढ़िया, भई, पर कोई अपने पैर पर कुल्हाड़ी थोड़े ही मारता है, करता-धरता तो वही हैं
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चाँद, बादल, और शाम
http://prajapativinay.blogspot.com/
गुलाबी कोंपलें
http://www.vinayprajapati.co.cc
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