मंगलवार, 5 अगस्त 2008

रामायण का विज्ञापन


इन दिनों टीवी पर एक नयी रामायण प्रसारित हो रही है और उसके प्रचार के लिए २-३ विज्ञापन भी दिखाए जा रहे है ,उन विज्ञापनों में से एक में बताया जा रहा है कि बच्चे असभ्य भाषा का प्रयोग करते हुए लडाई कर रहे है एक दूसरे को विभिन्न प्रकार की गाली दे रहे है और दूसरे में बताया जा रहा है कि एक छोटी सी लड़की किस प्रकार असभ्य शब्दों का प्रयोग कर रही है । इन विज्ञापनों को देख कर मन में एक सवाल कोंध रहा है कि क्या बच्चे इन विज्ञापनों को देख कर वाकई रामायण के प्रति आकर्षित होंगे या उन बुरे , असभ्य शब्दों को ग्रहण करेंगे ? मेरे ख्याल से तो जिन बच्चो को वे गालिया नही आती उनके अवचेतन मन में भी वे शब्द कही गहरे तक पैठ जायेंगे और कभी न कभी वे शब्द उन बच्चो के मुख से निकल सकते है । सवाल यह उठता है कि अनादिकाल से लोकप्रिय एवं हमारे संस्कारो में रची बसी रामायण की कथा प्र चार के लिए क्या ऐसे विज्ञापनों का सहारा लेना उचित है जो ख़ुद बच्चो को बुरे संस्कार सिखाने में सहायक हो सकते है । यदि प्रचार भी करना है तो क्या रामायण के प्रेरणादाई द्रश्यो को दिखा कर अथवा बच्चो को रामायण की अच्छी बातो की चर्चा करते हुए भी तो प्रचार किया जा सकता है । प्रसार मीडिया को अपनी जिम्मेदारी अच्छे से समझनी चाहिए और सरकार को भी इस पर अपना कठोर नियंत्रण रखना चाहिए .

1 टिप्पणी:

Piyush k Mishra ने कहा…

bachche kya seekh rahe hain ye to pata nahin magar aapka dhyaan un galiyon par hi gaya,aashcharya hai.

Ramayan bhi dikhana band kar dena chahiye.ho sakta hai bachche Ram ki karni se na seekh kar Raavan ki karni se kuchh seekhne lagein!!